गुप्तकालीन कला पार्ट 1 | Development of Literature, Art and Architecture during Gupta RPSC Grade first

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Development of Literature, Art and Architecture during Gupta 

गुप्तकालीन कला


 कला साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में चहुमुखी विकास के कारण गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्णकाल (k.m मुंशी), शास्त्रीय युग, श्रेण्य काल पेराक्लिज युग, एलिजाबेध काल / स्टुअर्ट काल कहा गया है।


पेराक्लिज युग -L.D बॉरनेट 
एलिजाबेथ काल / स्टुअर्ट काल - V. A स्मिथ 
श्रेष्य काल R.C मजूमदार 
मैक्समूलर और राखलदास बनर्जी ने गुप्तकाल को पुनर्जागरण (साहित्य, कला) का काल कहा है।
राखलदास बनर्जी ने गुप्तकला को पुनर्जागरण की कला कहा है
गुप्तकाल में ही वास्तविक मंदिर निर्माण कला का जन्म हुआ था।
गुप्तकाल में शास्त्रीय नियमों (आधार पीठिका, गर्भगृह-आदि) का निर्माण हुआ था।
गुप्तकला के मंदिर नागर शैली में बने हुए हैं।


प्रमुख गुप्तकालीन मंदिर :-


1 - सांची (mp) का विष्णु मंदिर ( मंदिर स. 17) -

→ गुप्तकला का सबसे प्राचीन मंदिर।


2 - देवगढ ( ललितपुर । झांसी, UP) का दशावतार मंदिर :-

→ गुप्तकाल का सबसे प्रसिद्ध मंदिर।

→ इसमें विष्णु की शेषशायी प्रतिमा बनी हुई है।

→ यह भारत का पहला शिखर युक्त मंदिर है।

→ यह मंदिर नागर शैली और पंचायतन शैली का प्रथम मंदिर माना जाता है।

→ देवगढ़ का दशावतार मंदिर का शिखर 12 मीटर ऊँचा है, और इसमें मण्डपों की संख्या 4 है।


3- गुप्तकाल का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर उदयगिरी (mp) का विष्णु मंदिर । वराह अवतार मंदिर

→ इसका निर्माण वीरसेन ( चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का विदेश मंत्री) ने करवाया था।


4. भीतरगाँव (कानपुर, UP) का विष्णु, शिव, गणेश, दुर्गा (महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा) का मंदिर।

→ ईंटों से निर्मित मंदिर (प्रथम)


5. सिरपुर ( रायपुर, छत्तीसगढ़) का लक्ष्मण मंदिर ईंटो से निर्मित मंदिर ।


6. अहिच्छत्र (UP) का शिव मंदिर ।( ईटों से निर्मित)


7. पहाड़पुर का विष्णु मंदिर ( बांग्लादेश) (ईटो से निर्मित) 


8. नचना कुठारा का पार्वती मंदिर - अजयगढ़,। MP अजयगढ़ (MP) व देवगढ़ के दशावतार मंदिर पर रामकथा | रामायण उत्कीर्ण है। -


9. खोह (नागदा, MP) का शिव मंदिर 


10. एरण (mp) का विष्णु मंदिर । वराह अवतार प्रतिमा 


11. तगवा (जबलपुर, MP) का विष्णु मंदिर


12. पिपरिया (MP) का विष्णु मंदिर


13. भूमरा का शिव मंदिर ( सतना , MP)


14. मुकुन्दरा ( कोटा) का शिव मंदिर


गुप्तकला के प्रमुख स्तूप :-


(I) सारनाथ का धूमेख स्तूप :- इसका निर्माण कुमार देवी ने करवाया। (चन्द्रगुप्त -I के काल में)

(II) सिंध का मीरपुर खास स्तूप - पाकिस्तान 

(III) राजगृह का जरासंघ स्तूप - इसे जरासंघ की बैठक भी कहा जाता है।

(IV) नालन्दा का स्तूप (बिहार)

(v) रत्नागिरी (MH) का स्तूप


मूर्तिकला 


प्रमुख केन्द्र 

(i) मधुरा
(ii) सारनाथ
(iii) पाटलिपुत्र
(iv) रूपवास (भरतपुर)


→ गंगा व यमुना की मूर्तियों का निर्माण गुप्त काल में ही प्रारम्भ हुआ था।

→ गुप्तकालीन मंदिरो के प्रवेश द्वार पर मुख्यतः मकर वाहिनी और कुर्रम (कछूआ) की मूर्तियाँ बनी हुई है।


गुप्तकाल की प्रमुख मूर्तियाँ :-


(i) सारनाथ से प्राप्त पत्थर (पाषाण) की बनी महात्मा बुद्ध की मूर्ति (प‌द्मासन अवस्था में बैठे हुए)


(ii) सुल्तानगंज (बिहार) से प्राप्त तांबे की बनी महात्मा बुद्ध की मूर्ति (7.5 फीट ऊँची)


(iii) एरण व उदयगिरी से प्राप्त वराह मूर्तियाँ। 


(iv) कौशाम्बी (UP) से प्राप्त सूर्य की मूर्ति ।


(v) दुर्जनपुर (विदिशा, MP) से तीन जैन तीर्थकरों की मूर्तियाँ। जो रामगुप्त के समय की है।


(vi) कंकाली टीला (मथुरा) से प्राप्त महावीर स्वामी की ध्यानमग्न मूर्ति । जो कुमारगुप्त के समय की है?


(vii) काशी से प्राप्त गोवर्धन पर्वत धारण किये कृष्ण की मूर्ति व देवगढ व मथुरा से प्राप्त विष्णु की मूर्ति ।

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