गुफा स्थापत्य और चित्रकला
Table of Contents
SN. | Section |
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1. | अजन्ता की गुफाएँ |
2. | बाघ की गुफाएँ |
3. | उदयगिरी की गुफाएँ |
4. | सुदर्शन झील |
5. | महत्वपूर्ण तथ्य |
अजन्ता की गुफाएँ
यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है। (बाघोरा नदी के किनारे सह्याद्रि पहाड़ियों में)
इन गुफाओं की खोज 1819 में मद्रास रेजीडेंट के सैनिकों ने की थी।
इन्हें प्रकाश में लाने का श्रेय जेम्स एलेक्ज़ेंडर को है।
अजन्ताओं की गुफाओं और इनके चित्रों का संबंध बौद्ध धर्म से है।
यहाँ कुल 29 गुफाएँ है, जिनमें से 4 गुफाएँ बौद्ध चैत्य (पूजा गृह) और 25 गुफाएँ बौद्ध विहार । मठ (आवास गृह)
चैत्य - 9, 10, 19, 26
गुफा नम्बर 16, 17, 19 गुप्तकाल की है, जिनका निर्माण वाकाटक वंश के शासकों ने करवाया था, जो गुप्तों के अधीन (गुप्तों) के सांमत थे।
गुफा नम्बर 16, 17 में गुप्तकालीन चित्र सुरक्षित है।
अजंता की गुफाओं का सबसे प्रसिद्ध चित्र गुफा न. 16 का मरणासन्न राजकुमारी का चित्र है।
गुफा नम्बर 16 में ही महात्मा बुद्ध में वैराग्य उत्पन्न करने वाले 4 दृश्यों (वृद्ध, रोगी, मृत, संन्यासी) का चित्र है।
गुफा न. 17 में सर्वाधिक चित्र होने के कारण इसे 'अजन्ता की चित्रशाला' भी कहा जाता है।
गुफा न. 17 को ही ' राशि चक्र' गुफा भी कहा जाता है।
गुफा न. 17 का सबसे प्रसिद्ध चित्र महाभिनिष्क्रमण (महात्मा बुद्ध के गृह त्याग घटना) का चित्र है।
गुफा न. 13 सबसे प्राचीन मानी जाती है।
गुफा न. 1 में चालुक्य शासक पुलकेशियन के राजदरबार का चित्र है, जिसमें एक ईरानी राजदूत पुलकेशियन-२ से भेंट करते हुए दर्शाया गया है।
अंजता की गुफाओं के चित्रों का मुख्य विषय जातक कथाएँ है।
बाघ की गुफाएँ
MP, विध्यन पहाड़ियों में यह गुफाएँ मध्यप्रदेश में है।
यहाँ कुल 9 गुफाएँ है, जो गुप्तकाल की मानी जाती है।
बाघ की गुफाएँ के चित्रों का मुख्य विषय 'लौकिक जीवन' हैं।
गुफा न.16 में ही अवलोकेश्वर का चित्र व उपदेश सुनते भक्तगण के चित्र है।
गुफा न. 17 में शिशु व माता का चित्र (राहुल समर्पण का चित्र) व महाहंस जातक कथा का चित्र है।
गुफा न. 2 पाण्डव गुफा है, जो सबसे बड़ी है।
गुफा न. 3 को हाथीगुफा/खाना कहते है।
गुफा न. 4 व 5 को संयुक्त रूप से रंगमहल गुफा कहते हैं।
उदयगिरी की गुफाएँ
यहाँ कुल 20 गुफाएँ हैं।
यहाँ 19 गुफाएँ ब्राह्मण धर्म (वैदिक धर्म) से सम्बंधित हैं और एक गुफा जैन धर्म से सम्बधित है।
उदयगिरी की गुफाओं का निर्माण चन्द्रगुप्त-२ के काल में हुआ ।
प्रमुख गुफा
अमृत गुफा: उदयगिरी की गुफाओं में गुफा न. 9 सबसे बड़ी है जिसे कनिंघम ने अमृत गुफा की संज्ञा दी है।
सुदर्शन झील
यह झील सौराष्ट्र प्रांत (गुजरात) में उर्जयन्त पर्वत पर स्थित थी।
इस झील की जानकारी रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख और स्कंदगुप्त के जूनागढ़ अभिलेख से मिलती है।
इस झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में उसके सौराष्ट्र प्रांत के गवर्नर पुष्यगुप्त ने करवाया था।
रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख और स्कंदगुप्त के जूनागढ़ अभिलेख से मिलती है।
इस झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में उसके सौराष्ट्र प्रांत के गवर्नर पुष्यगुप्त ने करवाया था।
रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में ही अशोक व चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम का उल्लेख एक साथ मिलता है।
शासक सौराष्ट्र का गवर्नर कार्य चंद्रगुप्त मौर्य पुष्यगुप्त वैश्य सुदर्शन झील का निर्माण अशोक यवन तुषाष्प झील बांध नहर निर्माण रुद्रदामन सुविशाष झील बांध मरम्मत स्कंदगुप्त पर्णदत्त (चक्रपालीत)/पुरपाल झील बांध मरम्मत
महत्वपूर्ण तथ्य
- गुप्तकला के सर्वश्रेष्ठ नमूने मंदिर हैं।
- देवगढ़ का दशावतार मंदिर वेत्रवती ( बेतवा नदी) के तट पर स्थित है।
- नचना कुठारा के पार्वती मंदिर में शिव-पार्वती संगीत वाद्यों के साथ उत्कीर्ण है।
- गुप्तकाल के मंदिरों के सबसे ज्यादा साक्ष्य मध्यप्रदेश से प्राप्त होते हैं।
- शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप की रचना भी गुप्तकाल की देन है।
- 8 से 13 तक गुफाएँ हीनयान संप्रदाय की है।
- बाघ की गुफाओं का सर्वप्रथम 1818 ई. में इनका पता डेंजन फील्ड ने लगाया था।
- बाघ की गुफाएँ (MP) बाघिनी नदी के तट पर स्थित है।
- एलीफेन्टा गुफा शैव एवं बौद्ध धर्म से सम्बधित है।
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