गुप्तकालीन साहित्य
- साहित्य की उन्नति की दृष्टि से गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा गया है।
- गुप्तकाल की राजभाषा संस्कृत थी। अत: गुप्त काल में मुख्यतः संस्कृत साहित्य का सृजन हुआ था।
- गुप्तकाल के सभी अभिलेख प्राय: संस्कृत भाषा में ही मिलते है।
- इस काल को संस्कृत साहित्य का शास्त्रीय युग कहा गया है। (300-600 ई.)
- गुप्तकाल में ही मुद्रा पर छंदबद्ध संस्कृत लेख उत्कीर्ण है।
धार्मिक साहित्य
-गुप्तकालीन धार्मिक साहित्य के अन्तर्गत मुख्यतः पुराण सम्मिलित है।
- पुराणों की रचना गुप्तकाल में ही मानी जाने हैं। [ लोमहर्ष, उग्रस्रवा द्वारा ]
- पुराणों की संख्या 18 है।
- रामायण व महाभारत की रचना भी गुप्तकाल में ही मानी जाती है।
प्रमुख स्मृतियाँ :-
- नारद स्मृति, बृहस्पति स्मृति,कात्यायन स्मृति, पाराशर स्मृति, विष्णु स्मृति आदि की रचना गुप्तकाल में हुई है।
- सभी स्मृतियाँ विधि/ कानून से सम्बंधित है, लेकिन कात्यायन स्मृति आर्थिक विषयों से सम्बंधित है।
प्रशस्ति
प्रशस्ति | लेखक (Authors) | शासक (Rulers) |
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प्रयाग प्रशस्ति | हरिषेण | समुद्रगुप्त |
उदयगिरी प्रशस्ति | वीरसेन | चंद्रगुप्त - II |
मन्दसौर प्रशस्ति | वत्सभट्टी | कुमार गुप्त- 1 |
लेखक
Author | Works | Details |
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कालिदास | काव्य ग्रंथ |
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नाटक |
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शुद्रक | मृच्छकटिकम |
- शुद्रक गुप्तकाल का पहला नाटककार है। - मृच्छकटिकम गुप्तकाल का एकमात्र दुखान्त (Sad End) नाटक है। |
विशाखदत्त | मुद्राराक्षस |
- विशाखदत्त का मुद्राराक्षस नायिका विहीन नाट्य रचना है। - मुद्राराक्षस में मौर्यवंश की स्थापना की जानकारी मिलती है। |
अमरसिंह | अमरकोष |
- अमरसिंह चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। - इनकी रचना अमरकोष है, जो संस्कृत साहित्य का सबसे बड़ा शब्दकोष माना जाता है। - अमरकोष का दूसरा नाम लिंगानुशासन है। |
विष्णु शर्मा | पंचतंत्र |
- प्रमुख रचना पंचतंत्र (कहानियों का संग्रह) - विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवादित होने वाली संस्कृत साहित्य या भारतीय साहित्य की पुस्तक। - सर्वप्रथम पंचतंत्र का अनुवाद पहलव भाषा में हुआ था। |
नारायण | हितोपदेश | - पंचतंत्र की भांति कहानियों का संग्रह |
वात्स्यायन | कामसूत्र | |
कामन्दक | नीतिसार | |
चन्द्रगोमिन | चंद्रव्याकरण | |
वज्जिका | कुमौदी महोत्सव | |
वत्स भट्टी | भटट्टी काव्य, रावणवध | |
ईश्वर कृष्ण | सांख्य कारिका | |
भाष | स्वप्न वासव दत्ता, प्रतिज्ञा योग, धरायण दरिद्र चारूदत्त, दूत घटोत्कच, दूत वाक्य | |
सिद्धसेन | न्यायावतार, न्यायदर्शन | |
बुद्धघोष | सामंत पासादिका, सुमंगलविलासिनी, विशुद्धिमग्ग | |
भारवी | किरातार्जुनीयम, शिव व अर्जुन का संवाद |
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