भारतीय कृषि का महत्व
मानसून पर आधारित खेती - भारत में अधिकांश क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर या तो कम है, या जल खारा है।
परम्परागत तकनीकी - भारत में किसान परम्परागत खेती करते है, किसान को खेती का कार्य विरासत में मिलता है, लेकिन नवीन तकनीक का उसे ज्यादा ज्ञान नहीं होता है।
खाद्यान्न फसलों की अधिकता - भारत के किसान अपनी आवश्यकता को देखकर खेती में फसलों का चयन करते है।
रोजगार का प्रमुख साधन - भारत में कृषि आधारित।
राष्ट्रीय आय का प्रमुख स्रोत - भारत के 70% लोगों से प्राप्त कृषि उपज के कृषि व्यापार से प्राप्त विभिन्न प्रकार के कर के रूप से सरकार को आय प्राप्त होती है।
डेयरी उत्पादन के लिये कच्चामाल - भारत में कृषि व कृषि आधारित उद्योगों से आर्थिक विकास में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है।
खाद्यान्न उपलब्धता - हमारे देश की जनसंख्या वर्तमान में 125 करोड़ है।
वस्त्र उद्योग के लिए कच्चा माल - भारत में कपास, जूट का उत्पादन बहुतायत से होता है।
पशु चारा उपलब्धता - किसान द्वारा उत्पादित फसलों के अवशेष को सूखे चारे के रूप में किसान संग्रहित करता है।
कृषि आधारित उद्योगों के लिये कच्चा माल - भारत में दलहन, तिलहन, वस्त्र, डेयरी, जूट उद्योग, चीनी उद्योग, फल व सब्जी प्रसंस्करण उद्योग के लिये कच्चा माल खेती से ही प्राप्त होता है।
बेरोजगारी की समस्या का समाधान - जब किसी देश का कृषि उत्पादन बढ़ता है तो घरेलू बाजार में तथा विदेशी व्यापार में उसका लेनदेन होता है।
विदेश व्यापार व निर्यात - हमारे देश के फल, सब्जी, पुष्प, अनाज, दलहन, तिलहन के प्रसंस्करण के पश्चात उनका निर्यात किया जाता है।
देश की आर्थिक विकास में योगदान - जब किसी देश का कृषि उत्पादन बढ़ता है तो घरेलू बाजार में तथा विदेशी व्यापार में उसका लेनदेन होता है।
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